ये तेरी हल्की सी नफ़रत और थोड़ा सा इश्क़
यह तो बता ये मज़ा ए इश्क है
या साजा ए इश्क
मै काबिले नफ़रत हूं तो छोड़ दे मुझको
तू मुझसे यू दिखावे की मोहब्ब्त
न किया कर
नफरतों के शहर में चालाकियों के डेरे है
यहां वो लोग रहते है जो तेरे मुंह पे तेरे
और मेरे मुंह पे मेरे है
बस एक बार प्यार से कह देना
अब तेरी जरूरत नहीं
मुझे नफ़रत सी हो गई है
आपकी जिंदगी से
और तू ज्यादा खुश ना हो
क्युकी तू ही मेरी ज़िन्दगी है
जो मुझसे नफ़रत करते है शौक से करे
हर शख्स को में
अपनी मोहब्ब्त के काबिल नहीं समझती
नफ़रत करना तो शिखा ही नहीं साहब
हमने दर्द को नहीं चाहा है
अपना समझकर
इश्क़ करे या नफ़रत इजाजत है उन्हें
हमे इश्क से अपने कोई शिकायत नहीं
मुझसे नफ़रत करनी है तो इरादे मजबूत रखना
जरा से भी चुके तो मोहब्ब्त हो जाएगी
देख के हमको वो सर झुकाते है
गैरो से मिलकर क्यों दिल जलाते है
हक से दो तो तुम्हारी नफ़रत भी कबूल हमें
खैरात में तो हम तुम्हारी मोहब्ब्त भी न लें
देख के हमको वो सर झुकाते है
बुला कर महफ़िल में नज़रे चुराते है
नफ़रत तेरी बुलंदियों पे थी
फिर भी तुझे चाहा था
ए सनम तूने ही आवाज़ ना लगाई
हमने तो तुझे हर लम्हे में पुकारा था
कुछ लोग तो मुझसे सिर्फ इसलिए
भी नफ़रत करते है
क्युकी बहुत सारे लोग मुझसे प्यार
करते है
तेरी जुदाई में और तो कुछ ना ही सका
बस मोहब्ब्त से नफ़रत हो गई
तूने ज़िंदगी को मेरी इस कदर कुछ यूं मोड़ा है
की अब मोहब्ब्त भी नफ़रत भी
दोनों थोड़ा थोड़ा है
नफ़रत करना है तो इस कदर करना
कर हम दुनिया से चले जाए
पर तेरी आंख में आंसू ना आए
दुनिया को नफ़रत का यकीन नहीं दिलाना पड़ता
मगर लोग मोहब्ब्त का सबूत जरूर मांगते है
पहले इश्क़ फिर दर्द फिर बेहद नफ़रत
बड़ी तरकीब से तबाह किया
तुमने मुझको
सनम तेरी नफ़रत में वो दम नहीं
जो मेरी चाहत को मिटा दे
ये मोहब्ब्त है कोई खेल नहीं
जो आज हंस के खेला और कल
रो कर भुला दे
कर लू एक बार तेरा दीदार जी भर के मेरे दोस्त
मेरी मोहब्ब्त और तेरी नफ़रत के बीच का
फासला ख़तम हो जाएगा
वो इनकार करते है इकरार के लिए
नफ़रत भी करते है तो प्यार करने के लिए
उल्टी चाल चलते है ये इश्क करने वाले
आंखे बन्द करते हैं दीदार के लिए
मुझे नफ़रत है इस मोहब्बत के नाम से
क्यों बिना कसूर तड़पा तड़पकर मारा है मुझे
बैठ कर सोचते है अब की क्या खोया क्या पाया
उनकी नफ़रत ने तोड़े बहुत मेरी वफा के घर
तुझे प्यार भी तेरी औकात से जायदा किया था
अब बात नफ़रत की है तो नफ़रत ही सही
छोटी सी इस कहानी को
एक और फासला मिल गया
उनको हमसे नफ़रत का
एक और बहाना मिल गया
वो लोग अपने आप में कितने अजीम थे
चला जाऊंगा मै धुंध के बदल की तरह
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह
जब करते हो मुझसे इतनी नफ़रत
तो क्यों सजाते हो तुम मुझे
काजल की तरह
प्यार करता हूं इसलिए फिक्र करता हूं
नफ़रत करूंगा तो जिक्र भी नहीं करूंगा
नए साल में पिछली नफ़रत भुला दे
चलो अपनी दुनिया को जन्नत बना दे
उनसे सब अपनी अपनी कहते है
मेरा मतलब आदा करे कोई
चाह से आप को तो नफ़रत है
मुझ को चाहे खुदा करे कोई
खदा से क्या मोहब्ब्त कर सकेगा
जिसे नफ़रत है उस के आदमी से
दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी के आता हूं
बस इसी बात से दुश्मन मुझे पहचान गए
लगता है आज फिर कोई आंधी
आने वाली है
दर्द को दर्द से नफ़रत होने वाली है
शायद मोहब्ब्त दरवाज़े पर दस्तक
देने वाली है
नफ़रत को हम प्यार देते हैै
प्यार पे खुशियों वार देते है
बहुत सोच समझकर हमसे कोई वादा है
ये दोस्त हम वादे पर ज़िंदगी गुज़ार देते हैै
खुदा सलामत रखना उन्हें जो
हमेशा नफ़रत करते है
नफ़रत का सिलसिला जारी है
लगता है दूर जाने की तैयारी है
दिल तो पहले दे चुके है हम
लगता है अब जान देने की बारी है
अगर इतनी ही नफ़रत है हमसे
तो दिल से कुछ ऐसी दुआ
करो कि आज ही तुम्हारी दुआ
भी पूरी हो जाए और हमारी
ज़िन्दगी भी
ये खुदा रखना मेरे दुश्मनों को भी
महफूज़
वरना मेरी तेरे पास आने की दुआ कोन करेगा
हाथ में खंजर ही नहीं आंखमे पानी भी चाहिए
ये खुदा मुझे दुश्मन भी खानदानी चाहिए
उन्हें नफरत हुई सारे जहा से
अब नाई दुनिया लाए कहा से
इसी लिए तो बच्चे पे नूर सा बरसात है
शरारतें करते है साजिशे तो नहीं करते
एक नफ़रत की है जिसे दुनिया चंद
लम्हों में जान लेती है
वरना चाहत का यकीन दिलाने में तो
ज़िन्दगी बीत जाती है
वो जो हमसे नफ़रत करते है
हम तो आज भी सिर्फ उन पर मरते है
नफ़रत है तो क्या हुआ यारो
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं
कदर करनी है तो जीतेजी करो
अर्थी उठाते वक्त तो नफ़रत
करने वाले भी रो पड़ते है
गजब की एकता देखी लोगो की जमाने में
जिंदो को गिराने मुर्दों को उठाने में
मोहब्ब्त के किस्से आम थे सुशील
आजकल नफरतों का दौर चल रहा है
पी कर रात को हम उनको भुलाने लगे
शराब में गम को मिलाने लगे
ये शराब भी बेवफा निकली यारो
नशे में तो और भी याद आने लगे
अगर इतनी ही नफरत है
हमसे तो
दिल से कुछ ऐसी दुआ करो
की आज ही तुम्हारी दुआ भी
पूरी हो जाए
सुख गए फूल पर बाहर यही है
दूर रहते है पर प्यारी वहीं है
जानते है हम मिल नहीं पा रहे है आपसे
मगर इन आंखो में मुहब्बत का इंतज़ार वहीं है
बदल जाते है वो लोग वक्त की तरह
जिन्हे हद से ज्यादा वक्त दे दिया जाए
फिर सुबह एक नई रोशनी हुई
फिर उम्मीदें नींद से झकती मिली
वक्त का पंछी घरोदें से उड़ा
अब कही लेे जाए त तुफा क्या पता
वो दुश्मन बनकर मुझे जितने निकले थे
मुहब्बत कर लेते मै खुद ही हार जाता
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