प्यार ज़िन्दगी को खूबसूरत बनाने के लिए है,
पर ज़िन्दगी बस दर्द बढाने के लिए है,
मेरे अंदर की उदासी काश कोई पढ़ ले,
ये हँसता हुआ चेहरा तो दुनिया के लिए है।
जख़्म इतना गहरा हैं इज़हार क्या करें,
हम ख़ुद निशां बन गये ओरो का क्या करें,
मर गए हम मगर खुली रही आँखे हमरी,
क्योंकि हमारी आँखों को उनका इंतेज़ार हैं.
फिर वही दिल की गुज़ारिश फिर वही उनका ग़ुरूर,
फिर वही उनकी शरारत फिर वही मेरा कुसूर।
किसी को क्या बुरा समझना बुरे तो
हम हैं जो हर किसी को अच्छा समझ
बैठते हैं।
इश्क़ खुदकुशी का धंधा है,
“अपनी ही लाश अपना ही कंधा है”
कभी मिले फुर्सत तो इतना जरूर बताना वो कौन सी मोहब्बत थी जो हम तुम्हे न दे सके।”
ए रब अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गयी हो,
तो मेरा लहू लेले, यूँ कहानिया अधूरी न लिखा कर।
काश एक दिन ऐसा भी आए;
वक़्त का पल पल थम जाए;
सामने बस तुम ही रहो;
और उमर गुज़र जाए.
एक ये ख्वाहिश के कोई ज़ख्म न देखे दिल का,
एक ये हसरत कि कोई देखने वाला तो होता।
मूड ठीक करने कोई नहीं आता
खराब करने के लिए लोगों का
मेला लग जाता है।
तुझसे बिछड़ने के बाद खुद को यही सिखाया हमने
हाथ तो मिलाया सबसे पर कभी दिल नही मिलाया हमने
तुमने समझा ही नहीं और ना समझना चाहा, हम चाहते ही क्या थे तुमसे “तुम्हारे शिवा।”
बेचैनियां बाजार में, नहीं मिला करती यारों,
बाँटने वाला, कोई बहुत नज़दीकी होता है।
वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो,
वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो,
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको,
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो.
मेरे हाथों से मेरी तकदीर भी वो ले गया,
आज अपनी आखिरी तस्वीर भी वो ले गया।
किसी को मनाने से पहले यह जरूर
जान लेना कि वह तुमसे नाराज है या
परेशान।
जख्म तो आज भी ताज़ा हैं पर वो निशान चला गया
मोहब्बत तो आज भी बेपनाह है पर वो इंसान चला गया
तुम्हारे होंगे चाहने वाले बहुत इस कायनात में, मगर इस पागल की तो कायनात ही तुम हो।” –
इश्क की हमारे बस इतनी सी कहानी है,
तुम बिछड गए हम बिख़र गए,
तुम मिले नहीं और...
हम किसी और के हुए नही।
वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो,
वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो,
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको,
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो.
चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नहीं,
मोहब्बत अजनबी होकर बड़ी तकलीफ देती है।
दुनिया में संभलना हम भी जानते थे
पर ठोकर तो उस पत्थर से लगी जिसे
हम अपना मानते थे।
इश्क़ के सपनो का, वो हर मीठा लम्हा गुजर गया,
तेरा प्यार “झूठा” था, वादे करके “मुकर” गया…
जरा करीब आओ तो शायद हमें समझ पाओ, ये दूरियाँ तो सिर्फ गलतफहमियां भरती हैं।”
जब मिलो किसी से
तो जरा दूर का रिश्ता रखना,
बहुत तङपाते है
अक्सर सीने से लगाने वाले।
दुख का समा मुझे घेर लेता है,
जब तेरी याद में ये पल भर के लिए होता है,
ना जाने कब वो दिन आएगा,
जब हर पल इस ज़िन्दगी का तेरे साथ गुजर जाएगा.
चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नहीं,
मोहब्बत अजनबी होकर बड़ी तकलीफ देती है।
खुद ही सीख जाओगे तो बहुत अच्छा
होगा अगर जिंदगी ने सिखाया तो बहुत
रोना होगा।
शिकवा करूं भी तो करूं किस से,
दर्द भी मेरा, और दर्द देने वाला भी मेरा।
दूरियाँ बहुत है पर इतना समझ लो,
पास रहकर कोई रिस्ता खास नहीं होता,
तुम मेरे दिल के इतने हो पास के,
मुझे दूरियों का एहसास नहीं होता।”
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों,
न बताऊं तो 'कायर', बताऊँ तो 'शायर'।
दर्द को दर्द अब होने लगा है,
दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है,
अब हमें दर्द से दर्द नही लगेगा,
क्योंकि दर्द हमको छू कर खुद सोने लगा है.
मैंने तड़पकर कहा बहुत याद आते हो,
तुम वो मुस्कुरा कर बोले तुम्हे और आता ही क्या है।
दिल तेरे लिए धड़कता है और
तुझे खबर ही नहीं।
मन्नते और मिन्नते कुछ काम नही आता,
चले ही जाते हैं वो जिन्हे जाना होता है।
जानते हैं दुनिया की सबसे कीमती चीज़ें क्या हैं ? सच्ची ख़ुशी के आंसू और सच्चे आंसुओं पर मुस्कान।”
ये मेरी महोब्बत और उसकी नफरत का मामला है,
ऐ मेरे नसीब तू बीच में दखल-अंदाज़ी मत कर।
प्यार किया तुझको दिलोजान से,
इस दिल में तुमको इस कदर बसा लिया,
भुला ना पाया है ये दिल तुझको आज तक,
लेकिन तुमने तो इसे दुख के आंसू रुला दिया.
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता।
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ,
जो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए.
इस छोटे से दिल में, किस-किस को जगह दूं मैं,
गम रहे…दम रहे…फरियाद रहे…या तेरी याद..!!
मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ
जीने की तमन्ना कौन करे..
ये दुनिया हो या वो दुनिया अब
ख़्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे।”
ना जाने किस बात पे वो नाराज हैं हमसे,
ख्वाबों मे भी मिलता हूँ तो बात नही करती।
किसी की चाहत पे ज़िंदा रहने वाले हम ना थे;
किसी पर मर मिटने वाले हम ना थे;
आदत सी पड़ गयी, तुम्हे याद करने की;
वरना किसी को याद करने वाले हम ना थे.
एक उम्मीद मिली थी तुम्हारे आने से अब वो भी टूट गई,
वफादारी की आदत थी हमें अब शायद वो भी छूट गई।
क्या-क्या नहीं किया मैंने तेरी एक मुस्कान के लिए,
फिर भी अकेला छोड़ दिया उस अनजान के लिए।
वक्त तुम्हें बताएगा कितने
कीमती थे हम।
गम मिला तो रो ना सके
खुशी मिली तो मुस्कुरा ना सके
मेरी जिंदगी भी क्या जिंदगी है
जिसे चाहा उसे पा ना सके।
हम तुमसे दूर कैसे रह पाते, दिल से तुमको कैसे भूल पाते, काश तुम आईने में बसे होते, ख़ुद को देखते तो तुम नज़र आते।”
सोचता रहा ये रातभर करवट बदल बदल कर,
जानें वो क्यों बदल गया, मुझको इतना बदल कर।
सामने मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना,
जो मन मे हो वो ख़्वाब ना तोड़ना,
हर कदम पर मिलेगी सफ़लता,
बस आसमान छूने के लिए जमीन ना छोड़ना.
जब मै डूबा तो समुन्दर को भी हैरत हुयी,
अजीब शख्स है किसी को पुकारता भी नही
दिल तो बेशक मैंने तुम्हारे हवाले किया
था पर तुमने इसे तोड़कर हमें दर्द दे दिया.
जवाब लेने चले थे, सवाल ही भूल गए!
अजीब है ये इश्क भी, अपना हाल भी भूल गए!!
सपनों से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के कि कोई मनाने नहीं आएगा,
अब हमको रूठ जाने की आदत नहीं रही।”
उजड़ जाते हैं सर से पाँव तक वो लोग जो,
किसी बेपरवाह से बे-पनाह मोहब्बत करते हैं।
आती है तेरी याद अंधेरे की तरह,
उदास करती है मुझे गम की तरह,
मुझे तो अब बस उस दिन का इंतजार है,
जब तू आएगी मेरी ज़िन्दगी में सवेरे की तरह.
मैं फिर से निकलूंगा तलाश ए-जिन्दगी में,
दुआ करना दोस्तो इस बार किसी से इश्क ना हो।
एक वो वक़्त था जिसने मुझे घाव
दिया था और एक आज का वक़्त है
जो मेरे घाव भर रहा है.
जवाब लेने चले थे, सवाल ही भूल गए!
अजीब है ये इश्क भी, अपना हाल भी भूल गए!!
भूल पाना मुझे इतना आसान तो नहीं है, देखना बातों-बातों में ही एक दिन बातों से निकल आऊंगा।”
लोग पूछते हैं क्यों सुर्ख हैं तुम्हारी आँखे,
हंस के कह देता हूँ रात सो ना सका,
लाख चाहूं मगर ये कह ना सकूँ,
रात रोने की हसरत थी रो ना सका।
माना कि तू नहीं है मेरे सामने
पर तू मेरे दिल में बसता हैं,
मेरे हर दुख में मेरे साथ होता है,
और हर सुख में मेरे साथ हसता है.
दिल अमीर था और मुकद्दर गरीब था,
अच्छे थे हम मगर बुरा नसीब था।
लाख कोशिश कर के भी कुछ ना कर सके हम,
घर भी जलता रहा और समंदर भी करीब था।
हम समंदर हैं, हमें खामोश ही रहने दो
ज़रा मचल गये, तो शहर ले डूबेंगे.
कुछ ना बचा मेरे इन, दो खाली हाथों में,
एक हाथ से किस्मत रूठ गई,
तो दूसरे हाथ से मोहब्बत छूट गई।
रिश्ता वही कायम होता है जिसमे दोनों ही एक दूसरे को खोने से डरते हों।”
बिन बात के ही रूठने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,
आप खुश रहें, मेरा क्या है मैं तो आईना हूँ,
मुझे तो टूटने की आदत है।
दुख भरी मेरी ज़िन्दगी को उसने
खुशियों से भरी जन्नत बना दिया
खुदा ने सुनी मेरी ऐसी पुकार
मेरे दोस्त को मेरी मांगी हुई मन्नत बना दिया.
बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है,
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है।
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे,
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है।
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझको तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।
खुशियां तक़दीर में होनी चाहिए,
तस्वीर में तो हर कोई मुस्कुरा लेता है।
कुछ गम…कुछ ठोकरें…
कुछ चीखें उधार देती है…
कभी कभी जिंदगी…
मौत आने से पहले ही मार देती है…
मोहब्बत के अहसास ने हम दोनों को छुआ था फर्क इतना था की उसने किया था और मुझे हुआ था।”
इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब,
मुनाफे में जेब जले, और घाटे में दिल।
उदास नज़रो में ख़्वाब मिलेंगे,
कभी काटे तो कभी गुलाब मिलेंगे,
मेरे दिल की किताब को मेरी नज़रो से पढ़ कर तो देखो,
कही आपकी यादे तो कही आप मिलेंगे.
औकात नहीं थी ज़माने में जो मेरी कीमत लगा सके,
कम्बख़्त इश्क में क्या गिरे, मुफ्त में नीलाम हो गये।
अगर तुम अपनी ज़िंदगी अपने तरीके
से नहीं जियोगे तो लोग अपने तरीके
तुम पर थोप देंगे.
जिंदगी में कुछ हसीन पल यूंही गुजर जाते हैं
रह जाती हैं यादें और इंसान बिछड़ जाते हैं।
मुझसे दूरियां बना कर तो देखो साहैब फिर पता चलेगा कितनी नज़दीक़ हूँ मै।”
सुनो कोई टूट रहा है तुम्हे एहसास दिलाते दिलाते,
सीख भी जाओ किसी की चाहत की कदर करना।
जानने की कोशिश की थी तुमको,
तुमने कभी मुझ पर ध्यान ना दिया,
गैरों पर तुम्हे गहरा विश्वास था,
जिसने अपना समझा उस पर विश्वास ना किया.
बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से,
बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से।
ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उस ने दवा के नाम से,
आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम से।
हर लम्हा तेरी याद का पैगाम दे रहा है,
अब तो तेरा इश्क मेरी जान ले रहा है.
कुछ अजीब सा चल रहा है, ये वक्त का सफर…
एक गहरी सी खामोशी है खुद के ही अंदर…
चाहा था मुक्कमल हो मेरे गम की कहानी,
मैं लिख ना सका कुछ भी तेरे नाम से आगे।
हाथो की लकीरे देख कर ही रो देता है अब तो ये दिल,
इसमें सब कुछ तो है पर एक तेरा नाम ही नही.
साँस थम जाती है पर जान नहीं जाती,
दर्द होता है पर आवाज़ नहीं आती।
अजीब लोग हैं इस ज़माने में ऐ दोस्त,
कोई भूल नहीं पाता और किसी को याद नहीं आती।
खुश रहो या खफा रहो,
हमेशा दूर और दफा रहो.
लाख चाहूं कि तुझे याद ना करूं मगर,
इरादा अपनी जगह, बेबसी अपनी जगह..!!
महफिल लगी थी
बद-दुआओं की,
हमने भी दिल से कहा,
उसे इश्क़ हो, उसे इश्क़ हो, उसे इश्क़ हो...
चाहा ना उसने मुझे बस देखता रहा,
मेरी ज़िंदगी से वो इस तरह खेलता रहा,
ना उतरा कभी मेरी ज़िंदगी की झील में,
बस किनारे पर बैठा पत्थर फेंकता रहा.
फिर से एक उम्मीद पाल बैठी हूँ,
फिर से तेरे पते पर चिट्टी डाल बैठी हूँ।
बहुत नाज था इस नासमझ दिल को
तुम्हारे प्यार पर,कमबख्त बेवफाई झेल
नहीं पाया और टूट कर बिखर गया।
तुम्हारी और हमारी रात में बस फर्क इतना है
तुम्हारी सो के गुजरती है
हमारी रो के गुजरती है।
अगर नींद आ जाये तो, सो भी लिया करो,
रातों को जागने से, मोहब्बत लौटा नहीं करती।
कभी रूठ ना जाना मुझे मनाना नहीं आता,
कभी दूर ना जाना मुझे पास बुलाना नहीं आता,
अगर तुम भूल जाओ तो वो तुम्हारी मर्जी,
हमें तो भूल जाना भी नहीं आता.
ज़िंदगी बार बार मौका देती है
बस पहचानने की ज़रूरत है.
इश्क़ ना हुआ कोहरा हो जैसे,
तुम्हारे सिवा कुछ दिखता ही नहीं।
जिस्म से रूह तक जाए तो हकीकत है इश्क़,
और रूह से रूह तक जाए तो इबादत है इश्क़।
उंगलियाँ आज भी इस सोच में गुम हैं,
उसने कैसे नए हाथ को थामा होगा.
ना जिंदगी मिली ना वफा मिली,
क्यों हर खुशी हमसे खफा मिली,
झूठी मुस्कान लिए दर्द छुपाते रहे,
सच्चे प्यार की हमे क्या सजा मिली.!
ऐ खुदा लोग बनाने थे पत्थर के अगर तो
मेरे एहसास को शीशे सा न बनाया होता।
मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था,
एक मैं ही अकेला था, बाकि सारा काफिला भी उसका था,
एक साथ चलने की सोच भी उसकी थी,
और बाद में रास्ता बदलने का फैसला भी उसी का था.
उनसे कहना कि किस्मत पे इतना नाज़ ना करे,
हमने बारिश में भी जलते हुए मकान देखे है।
छुपा लो मुझे अपने सासों के दरमियाँ,
कोई पूछे तो कह देना जिंदगी है मेरी.
दिल में जो है, वो सब सच बता देता हूं,
किस्मत खराब इतनी जिसको चाहता हूं उसी को गंवा देता हूं।
ऐ मोहब्बत तू शर्म से डूब मर,
तू एक शख्स को मेरा ना कर सकी।
उसे हमने बहुत चाहा था पर पा न सके,
उसके सिवा ख्यालो में किसी और को ला न सके,
आँखों के आँसू तो सूख गये उन्हें देख कर,
लेकिन किसी और को देख कर मुस्कुरा न सके.
काश तू साथ होता,
मेरे दिल के पास होता।
तुझे चाहते हैं बहुत,
मेरा तू बहुत ख़ास होता।
इश्क़ के सपनों का, वो हर मीठा लम्हा
गुजर गया, तेरा प्यार झूठा था,वादे करके
मुकर गया.
इस तरह से लोग रूठ गए मुझसे,
जैसे मुझसा बुरा दुनिया में कोई और नही।
चाहत इतनी थी की उनको दिखाई न गई,
चोट दिल पर लगी इसलिए दिखाई न गई,
हम चाहते तो थे सारी दूरियां मिटाना,
लेकिन दूरियां इतनी थी की मिटाई न गई.
काश तू साथ होता,
मेरे दिल के पास होता।
तुझे चाहते हैं बहुत,
मेरा तू बहुत ख़ास होता।
मुझे कभी धोखा नहीं देना, मेरे आलावा
किसी और का ना होना मर जाऊँगी मै
आपके बगैर आपने मुझे जीना सिखाया है.
धीरे धीरे वो हमें अपनी जिंदगी से हटाते रहे,
बताकर मजबूरियां हमे वो अपना दिल कहीं और लगाते रहे।
वो नही आती पर अपनी निशानी भेज देती है,
ख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देती है,
उसकी यादों के पल कितने भी मीठे हैं,
मगर कभी कभी आँखों में पानी भेज देती है.
किस्से हमारे तुम्हारे मशहूर थे,
जब तुम हमसे ना इतने दूर थे।
तुम्हारी ख्वाहिशों के हिसाब से खुद को ढाला थे हमने,
तुम्हे दुख ना हो इसलिए,,
तुम्हारी हर ख़ुशी को सम्भाला था हमने।
वो इंसान दुनिया जीतने की हिम्मत
रखता है, जो इंसान अकेले चलने
की हिम्मत रखता है।
दर्द मुझको ढूंढ लेता है रोज नए बहाने से,,
वो हो गया है वाकिफ मेरे हर ठिकाने से!
मेहँदी जब लगे उसमें नाम मेरा हो,
तेरी हर कहानियों में जिक्र मेरा हो।
तू याद करे जब तो,
तेरे आंसुओं में नाम मेरा हो।
जब लोग छोड़ कर चले जाते है,
तो वो तभी लौट कर आते है,
जब उन्हें कोई मतलब होता है.
हमे लगता था वो नाराज़ हैं हमसे
हम गलत थे वो तो परेशान थे हमसे…
आँसू आ जाते है रोने से पहले,
ख्वाब टूट जाते है सोने से पहले।
लोग कहते है मोहब्बत गुनाह है,
काश कोई रोक लेते गुनाह होने से पहले।
लम्बी बातों से मुझे कोई मतलब नहीं
मुझे तो आपका अच्छा जी कहना भी
कमाल लगता है।
तेरे हर सवाल का जवाब सिर्फ़ यही है,
हां मैं गलत हूं, और तू सही है।
हर सितम सह कर कितने ग़म छिपाये हमने,
तेरी खातिर हर दिन आँसू बहाये हमने।
तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला,
बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।
हमने मजाक में क्या कहा कि छोड़ दो,मेरा
साथ,वो झटक कर हमारा हाथ चल दिए।
कोई बीमार हम सा नही,
कोई इलाज तुम सा नही
उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है,
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है।
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर,
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है।
इंसान दो जगह हमेशा हार जाता है
एक अपने प्यार से दूसरे अपने परिवार से।
ना शिकवा है गैरों से, मगर
उम्मीद अब अपनो से भी नही रही।
पल पल उसका साथ निभाते हम,
एक इशारे पर दुनिया छोड़ जाते हम।
समन्दर के बीच में फरेब किया उसने,
कहते तो किनारे पर ही डूब जाते हम।
0 Comments